
प्रतीकात्मक फोटो
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योगेंद्र शर्मा : चंडीगढ़
नगर निगमों में लंबे अर्से से संपत्ति कर के सैकड़ों करोड़ बकाया को लेकर इन दिनों हलचल तेज हो गई है। सख्ती और वसूली की मुहिम तेज कर दिए जाने के कारण कईं निगमों के पास में काफी पैसा भी मिला है, इतना ही नहीं राज्य के विभिन्न शहरों, कस्बों नगर परिषदों, नगर पालिकाओं में भी बकाया राशि जमा कराने की पहल नागरिकों द्वारा की जा रही है। अहम पहलू यह है कि पूर्व में संपत्तिकर की वसूली ठप पड़ी होने पर खुद शहरी निकाय मंत्री विज ने नाराजगी जाहिर की थी, इसी कारण से पानीपत नगर निगम में तैनात आयुक्त पर निलंबन की गाज गिरी थी।
पानीपत में तैनात तत्कालीन निगम कमिश्नर को निलंबित कर दिए जाने के बाद में खुद हरियाणा के शहरी निकाय मंत्री अनिल विज बकाया की वसूली मुहिम पर नजर रखे हुए हैं। मंत्री राज्य के निगमों के हालात पर नहीं बल्कि सिलसिलेवार राज्य में नगर परिषदों, नगर पालिकाओं के बकाया और उसमें से कब कब कितनी बकाया वसूली की जा रही है, उसकी समीक्षा भी कर रहे हैं।
शहरी निकाय मंत्री का कहना है कि जहां-जहां पर भी संपत्ति कर और बाकी तरह के टैक्स की वसूली ठीक तरह से नहीं होगी, वहां लापरवाह अफसरों, कर्मियों पर शिकंजा कसा जाएगा। यहां पर उल्लेखनीय है कि सूबे के दो बड़े निगमों गुरुग्राम और फरीदाबाद में पांच सौ करोड़ से ज्यादा रकम बकाया पड़ी थी। इतना ही नहीं पानीपत, करनाल ,सोनीपत, रोहतक शहरों में भी संपत्तिकर और बाकी तरह के कईं टैक्स की वसूली पर पूर्व में विराम लगा हुआ था।
गुरुग्राम और फरीदाबाद में छह सौ करोड़ बकाया
फरीदाबाद और गुरुग्राम जैसे जिलों में लगभग छह सौ करोड़ की रकम बकाया थी क्योंकि संपत्ति कर की वसूली समय से नहीं की जा रही थी। कर्मचारी और अफसर भी मामले में ठंडे बैठे हुए थे। करनाल, हिसार, रोहतक, पानीपत जैसे जिलों में भी बहुत अच्छे हालात नहीं थे। पानीपत के हालात खराब होने और चेतावनी के बाद भी काम नहीं होने पर मंत्री ने निगम कमिश्नर को निलंबित कर मुख्यालय पर तैनात कर दिया था। अगर सूबे में नगर परिषदों, नगर पालिका को थोड़ दें, तो बड़े शहरों और नगर निगमों की बकाया राशि एक हजार करोड़ से ऊपर है। यह तो संपत्तिकर के आंकड़े हैं, अगर नगर निकायों वाले बाकी करों पर गौर करें, तो यह राशि काफी बड़ी बकाया है। गुरुग्राम नगर निगम में संपत्तिकर बकाया पर राशि 334 करोड़ से ऊपर बन रही है। फरीदाबाद निगम में 240 करोड़, करनाल में 144 करोड़ बकाया व सोनीपत में 70 करोड़, पानीपत निगम 222 करोड़ बकाया चल रहा था। पंचकूला का प्रापर्टी टैक्स 11 करोड़ और रोहतक का 32 करोड़, हिसार का 15 करोड़ बकाया है।
आत्मनिर्भर बनाने की पहल
विकास को गति देने के लिए सीएम भी खुद निगम मेयर और आयुक्तों के साथ में मीटिंग कर चुके थे। खुद मुख्यमंत्री ने विकास को गति देने और निगमों की आर्थिक हालत को मजबूत करने के लिए शहरों में बकाया पड़े सैकड़ों करोड़ की राशि की वसूली करने का मंत्र दिया था। इतना ही नहीं , इसके बाद में खुद शहर निकाय मंत्री विज ने बैठक लेकर अफसरों को साफ कर दिया था कि वसूली के मामले में लापरवाही बरने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।गौरतलब है कि फायर, शो टैक्स, रेंट टैक्स, वाटर चार्जेज, सीवरेज के अलावा इलेक्ट्रीसिटी डयूटी, डवलपमेंट चार्जेज, तहबाजारी., विज्ञापन फीस लाइसेंस फीस, मोबाइल टावर, कनवर्जन सहित 19 तरह की फीसें बनती हैं।
पानीपत में तैनात तत्कालीन निगम कमिश्नर को निलंबित कर दिए जाने के बाद में खुद हरियाणा के शहरी निकाय मंत्री अनिल विज बकाया की वसूली मुहिम पर नजर रखे हुए हैं। मंत्री राज्य के निगमों के हालात पर नहीं बल्कि सिलसिलेवार राज्य में नगर परिषदों, नगर पालिकाओं के बकाया और उसमें से कब कब कितनी बकाया वसूली की जा रही है, उसकी समीक्षा भी कर रहे हैं।